ईमान क्या है? Imaan Ka Bayan - Hadith ( Hadees ) Of The Day

Imaan Kya hai
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Hadith Of The Day [ Imaan Ka Bayan ]

हदीस:

एक दिन हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम लोगों के सामने तशरीफ़ फरमा थे कि इतने में एक शख़्स आया और उसने हुज़ूर सल्लल्लाहू अलैहि वसल्लम से पूछा कि ईमान किसे कहते हैं? फ़रमाया ईमान ये है कि "अल्लाह और उसके फ़रिश्ते और आख़िरत में अल्लाह से मिलने और उसके रसूलों और मरने के बाद दोबारा उठने पर ईमान लाओ" पूछा इस्लाम क्या है? फ़रमाया इस्लाम ये है कि "उसकी बंदगी करो, उसके साथ किसी को शरीक ना ठहराओ, नमाज़ क़ायम करो, ज़कात अदा करो और रमज़ान के रोज़े रखो" उसने फिर पूछा एहसान क्या है? फ़रमाया तुम अल्लाह की इबादत इस तरह करो गोया तुम उसको उसे देख रहे हो और अगर ये ना हो सके तो ये समझो कि वो तुम को देख रहा है
[बुख़ारी (जिल्द1, सफह12,)]


शरह़:

इस हदीस की हिंदुस्तान में सब से पहले इल्मे हदीस की तरवीज ओ इशाअत करने वाले शैख अब्दुल हक़ मुहद्दिसे देहलवी फरमाते हैं " मालूम होना चाहिए कि दीन बुन्नियाद और उसका कमाल तीन चीज़ों पर है -

  • फ़िक़ह 
  • इल्म ए अक़ाइद
  • इल्म ए तस्व्वुफ व सुलूक

इस हदीस में ये तीनों मकाम बयान फरमा दिए, इस्लाम फ़िक़ह की तरफ़ इशारा है, ईमान ऐताक़ादी मसाइल की तरफ़ और एहसान असल तस्व्वुफ़ की तरफ़। तस्व्वुफ़ के तमाम मआनी जिन की तरफ़ मशाईखे तरीक़त ने इरशादात फ़रमाये, इसी मअना की तरफ़ लौटते हैं।

इसके अलावा मशहूर ओ मुस्तनद शारिह ए हदीस इमाम नववी "हाशिया मुस्लिम" में फरमाते हैं -

"ये हदीस तमाम इबदात ए ज़ाहिरी व बातिनी के तौर तरीकों की शरह पर मुष्तमिल है"

इसके अलावा शेख मुहक़्क़िक देहलवी ने इस हदीस की शरह करते हुए ये भी फ़रमाया कि "हदीस में मज़कूर ऐसी इबादत कि जिसमें बंदह ख़ुदा को देख रहा है और ये ख्याल कि ख़ुदा बंदे को देख रहा है मुराक़बा है" और ये दोनों भी तस्व्वुफ़ की इस्तिलाहात हैं। खुलासा ये है कि ये हदीस तस्व्वुफ़ के बाब में असलुल-उसूल है और हदीस में जिस अम्र को हुज़ूर सल्लल्लाहू अलैहि वसल्लम ने एहसान फ़रमाया यही तस्व्वुफ़ ओ तरीकत है यअनी ऐसी इबादत कि बंदह ख़ुदा को देख रहा है या ख़ुदा उसको देख रहा है ।

अब मुंकिरीन से सवाल है कि "ऐसी इबादत कि जिसमें बंदे को ख़ुदा दिखाई दे क्या बग़ैर मुजाहिदे, रियाज़त ओ नफ़्स कशी, दुनिया और असबाबे दुनिया से बेज़ारी और यक्सोई के बग़ैर हासिल हो सकती है?

मुझे तो पूरा यकीन है ये लोग इस सवाल का जवाब बिल्कुल भी नहीं दे पाएंगे क्योंकि एक कहावत है कि "अंगूर हाथ ना आए तो खट्टे हो गए"

[ इसके अलावा अल्लाह और उसका रसूल ज़्यादा जानता है ]

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